मुख्य शाही स्नान पर्व के सकुशल संपन्नता में वन विभाग का रहा ये अहम रोल, जानिये

सुमित यशकल्याण

हरिद्वार कुम्भ के तीन मुख्य शाही स्नान सम्पन हो चुके है जिसे लेकर जहा मेला प्राधिकरण और कुम्भ मेला पुलिस ने अपनी प्रेस वार्ता कर अपनी बात रखी थी, तो वही वन विभाग हरिद्वार की तरफ से भी आज प्रेस वार्ता की गई जिसमें डीएफओ नीरज शर्मा ने बताया गया कि कुम्भ विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है हरिद्वार का कुम्भ क्षेत्र चारो ओर से जंगलों से घिरा है जिस कारण हरिद्वार में जंगली जानवरों के आबादी वाले क्षेत्रों में आने की घटनाएं आये दिन देखने को मिलती है कुम्भ में ऐसी कोई घटना ना ही इसके लिए वन विभाग ने शासन में योजना भेजी थी जिसके लिए वन विभाग को पैसा भी मिला जिसके द्वारा विभाग द्वारा कुम्भ क्षेत्र में जंगली जानवरों ना प्रवक्ता कर सके इसके लिए योजना बनाई गई थी जिसमे सोलर फेंसिंग, दीवार, तार के जाल ओर सुरक्षा खाई बनाई गई। साथ ही निगरानी के लिये 8 चौकी 5 वॉच टावर बनाये गए तथा संवेदनशील क्षेत्रो में 40 टीम तैनात की गई जिसमें हर टीम में 6 से 7 कर्मचारियो की नियुक्ति की गई थी जो 24 घंटे निगरानी करती रही। जिसके परिणाम स्वरूप जंगली जानवरों के मूवमेंट की लगातार सूचना मिलती रही जिससे अगर कोई जंगली जानवर कुम्भ क्षेत्र में आया बभी तो उसे सकुशल जंगल की ओर भेजा जा सका। वही प्रेस वार्ता में ओर अधिक बताते हुए उन्होंने कहा कि जंगल और कुम्भ क्षेत्र के सीमा पर 20 रिपेलर्स सेंसर लगाए गए है तथा 50 ओर लगाए जाने है जिन हर एक सेंसर की कीमत 18 हजार है। ये सेंसर 30 से 40 फुट की दूरी पर से ही जंगली जानवरों की मौजूदगी का पता लगा लेता है जिससे जंगली जानवरों की वास्तविक लोकेशन का पता लग सकता है।

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