कोविड से मृत लोगो की अस्थियां गंगा में विसर्जित, इन श्मशान घाटो से लाई गई थी अस्थियां

हरिद्वार/ सुमित यशकल्याण

 

कोरोना से मारे गए करीब 400 लोगों की लावारिस अस्थियों को आज हरिद्वार के सती घाट पर पूरे विधि-विधान के साथ गंगा में विसर्जित किया गया। कोरोना संक्रमण के चलते मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के बाद उनके परिजन डर के चलते उनकी अस्थियों को भी लेकर नही गए, जिसके चलते उनकी अस्थियां विभिन्न शमशान घाटों पर लावारिस पड़ी रही ऐसे ही करीब 400 लोगों की अस्थियों को श्रीराजमाता झंडेवाला मंदिर के स्वामी राजेश्वरानन्द महाराज ने अपने अनुयायियों के साथ दिल्ली के विभिन्न शमशान घाटों से एकत्र किया और उनकी मुक्ति के लिए सभी को लेकर अपने हरिद्वार के कैलाश गली आश्रम में लाये, जहां पर भजन-कीर्तन के बाद सभी अस्थियों को सती घाट कनखल लाकर माँ गंगा में विसर्जित किया गया। सभी अस्थियों का विसर्जन ब्राह्मणों के वैदिक मंत्रोच्चारण के बाद स्वामी राजेश्वरानंद ने मा गंगा में किया। स्वामी राजेश्वरनन्द ने संकल्प लिया है कि कोरोना संक्रमण के रहते कोरोना पीड़ितों की सेवा का कार्य करते रहेंगे और उन्होंने कोरोना पीड़ितों की लावारिस अस्थियों के विसर्जन के कार्य को भी जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया है। आपको बता दें कि स्वामी राजेश्वरानन्द महाराज कोरोना पीड़ितों की सेवा करते हुए खुद भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे और वे कोरोना की जंग जीतने के बाद फिर से कोरोना पीड़ितों की सेवा में जुट गए हैं। इस कार्य मे स्वामी जी के अनुयायियों ने भी आगे आकर साथ दिया है।

स्वामी राजेश्वरानंद महाराज ने कहा कि कोरोना नामक जो राक्षस है वह पूरे विश्व पर छाया हुआ है और काल का ग्रास बनाना चाहता है, लोग भयभीत हैं, पहले लोग अपने परिजनों को श्मशान घाट तक छोड़ते थे लेकिन अब वहां तक भी नहीं छोड़ रहे हैं जो कोरोना से संक्रमित हैं, हमने कई लोगों का अंतिम संस्कार किया और उसके बाद हमने जब देखा कि वहां पर लोग जिनको फूल कहते हैं, अस्थि अवशेष काफी पड़े हुए हैं तो कोरोना के संक्रमण से जिन लोगों का देहांत हो चुका है उन लोगों के लगभग 400 लोगों की अस्थियों को दिल्ली के विभिन्न श्मशान घाटों से आज हम अपने कैलाश गली हरिद्वार श्री राज माता आश्रम में लाकर वहां भजन करने के बाद इनको कनखल सती घाट पर विसर्जित करने के लिए लाये हैं, जो हमारा ट्रेडीशन हैं परंपराएं हैं। सनातन धर्म के अनुसार ब्राह्मणों ने यहां पर आकर पूजा-पाठ करवाया और अस्थियों को विसर्जित किया गया है, ना किसी का सहयोग मिला और हम सहयोग की इच्छा भी नहीं रखते आप लोगों का सहयोग मिला है, उन्होंने बताया कि अस्थि विसर्जन के पीछे वैज्ञानिक तथ्य साइंटिफिक रीजन है, इसमें हमारी हड्डियों में जो पौष्टिक तत्व और मिनरल्स होते हैं वह इस जल के माध्यम से हमारी कृषि को सहयोग देंगे और हमारे को अच्छी फसल मिलेगी। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि यदि कहीं पर भी किसी की कोरोना से मृत्यु हो गई हो मैं उसका अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हूं और कोई आदमी भी किसी के पास ऐसी कोई अस्थि अवशेष हों उनको सनातन धर्म की विधि के अनुसार मैं सती घाट पर लाकर विसर्जित करने के लिए हमेशा तैयार हूं यह कार्यक्रम निरंतर जारी रहेगा।

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