श्रीमहंत करणपुरी महाराज बने जूना अखाड़े में महामण्डलेश्वर। देखें एक्सक्लुसिव वीडियो

गोपाल रावत

हरिद्वार। श्रीपंचदशनाम जूना आनंद भैरव अखाड़ा में डेरा बाबा बालक पुरी रोहतक हरियाणा के श्रीमहंत करणपुरी की पंचों की उपस्थिति में महामण्डलेश्वर पद पर पुकार की गयी। गोकर्ण धाम रोहतक के पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर कपिलपुरी जी महाराज के शिष्य करणपुरी जी महाराज को अखाड़े के परम्परानुसार जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज,अन्र्तराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि जी महाराज,पूर्व सभापति श्रीमहंत उमाशंकर भारती,अन्र्तराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी,श्रीमहंत मोहन भारती,श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरि तथा महामण्डलेश्वर कपिलपुरी जी महाराज,श्रीमहंत मछंदरपुरी महाराज,श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती महाराज ने सिद्वपीठ मायादेवी तथा श्रीआनंद भैरव के दर्शन एवं पूजा अर्चना करायी। तत्पश्चात सैकड़ों सन्यासियों व श्रद्वालु भक्तो की उपस्थिति में श्रीदत्ताचरण पादुका पर विधिवत् पूजा अर्चना कर अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने महामण्डलेश्वर पद की पुकार की।

इस अवसर श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने कहा कि अखाड़ो में महामण्डलेश्वर का पद अत्यन्त गरिमामय तथा महत्वपूर्ण होता है। इस पद पर उन्ही विद्वान,शास्त्रों में पारंगत सन्यासी विद्वान को प्रतिष्ठित किया जाता है। जो अखाड़े की परम्परा व सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित कर देता है। नव अभिषिक्त महामण्डलेश्वर करणपुरी महाराज एक उच्च कोटि के संत है तथा सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार व उसकी प्रतिष्ठा के लिए निरन्तर कार्य कर रहे है। उनके कुशल नेतृत्व व दिशा निर्देश पर जूना अखाड़ा निरन्तर प्रगति करता रहेगा,ऐसा अखाड़े को पूर्ण विश्वास है। अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरि जी महाराज ने कहा महामण्डलेश्वर करणपुरी जी महाराज द्वारा हरियाणा सहित देश के कई अन्य स्थानों में शिक्षा,गौ सेवा व समाज सेवा के कई प्रकल्प चलाए जा रहे है। उनको महामण्डलेश्वर पद पर अभिषिक्त करने से निश्चित रूप से धर्म तथा सामाजिक कार्यो को गति प्राप्त होगी। राष्टीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महामण्उलेश्वर करणपुरी जी अत्यन्त कमर्ठ व विद्वान संत है। जूना अखाड़ा उनके नेतृत्व में नये आयाम स्थापित करेगा। समारोह में कोठारी लालभारती,थानापति नीलकंठ गिरि,कारोबारी महंत महादेवानंद गिरि,पुजारी परमानंद गिरि,श्रीमहंत इन्द्रानंद सरस्वती,थानापति रणधीर गिरि,थानापति विवेकपुरी,संजय शर्मा,मनोज मलिक,टीटू शर्मा,टीनू लूंबा,राजेन्द्र क्वातड़ा,नीलम क्वातड़ा,सुरेशपुरी,विपिन शर्मा,प्रवीण रंगीला,विनोद बटियानी,तुरंत पुरी,हरीश दुआ आदि मौजूद थे।

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