गीता जीवन जीने की कला सिखाती है-संत देवात्मानन्द

सुमित यशकल्याण

हरिद्वार । चिन्मय मिशन के आध्यात्मिक संत देवात्मानन्द महाराज ने चिन्मय डिग्री काॅलेज में गीता ज्ञान के उपदेशों पर व्याख्यान देते हुये कहा कि गीता जीवन जीने की कला सिखाती है। यदि व्यक्ति गीता के उपदेशों का अपने जीवन में की कला की भांति प्रयोग करे तो उसे जीवन सहज लगने लग जायेगा। जीवन में मृत्यु, मोह, माया का त्याग कर पायेगा। मनुष्य सहजता एवं श्रेष्ठता की ओर प्रतिदिन अग्रसर होता रहेगा। गीता ज्ञान से मनुष्य क्रोध की भावना पर नियंत्रण कर पाता है। गीता के अध्ययन से मनुष्य अपने जीवन को अनुशासित बनाता है। एक अनुशासित व्यक्ति ही श्रेष्ठता की ओर बढ़ता है और ज्ञान प्राप्त करता है। ज्ञानी पुरुष ही जाति, भेदभाव और अमीर-गरीब का भाव समाप्त कर देता है। छात्रों को धर्मग्रन्थ गीता का अध्ययन अवश्य करना चाहिये। उन्होंने बताया कि गीता के अध्ययन से विनम्रता एवं आनन्द की प्राप्ति होती है।

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